विश्व शांति के हित में देखो, दिया है जिसने प्राण।
और दिया दुनिया को नारा,जय जवान जय किसान।।
सत्य, अहिंसा, त्याग की मूरत,दया धर्म का दाता था।
कद काठी का छोटा था पर,विश्व को ज्ञान प्रदाता था।
निर्धनता और श्रम की ज्वाला से,खुद को सदा तपाया था।
भारत का था लाल बहादुर,कुंदन सा जीवन पाया था।
गांधी के विचार ले उसने,खूब बढ़ाई देश की शान ।
और दिया दुनिया को नारा,जय जवान जय किसान।।
युद्ध से न घबराया कभी,विश्व शांति की चाहत थी।
दुश्मन की चालों से भारत माता, बहुत ही आहत थी।
शास्त्री जी ने हमको,गर्व से रहना सिखलाया।
सच्चे अर्थों में गीता का पाठ उन्ही ने दोहराया।
लाल बहादुर ने फिर देखो,निर्णय ऐसा लिया महान।
और दिया दुनिया को नारा ,जय जवान जय किसान।।
विषम परिस्थिति देश पे आई, तब दुश्मन को ललकारा था।
उनके ही दृढ़ अनुशासन से, पाक हिंद से हारा था।
ताशकंद में शांति हेतु , जाना ही अंतिम बार हुआ।
फिर लौट के पार्थिव देह ही आई, प्राणों का बलिदान हुआ।
देश के गौरव की खातिर,उत्सर्ग किए हैं प्राण ।
और दिया दुनिया को नारा, जय जवान जय किसान।।
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#सर्वाधिकार सुरक्षित
✍️स्वरचित एवं मौलिक रचना
🌹 विनीता सिंह परिहार 🌹
सतना (मध्यप्रदेश)