नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में वैश्विक इकाई बनने के लिए लीथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) विनिर्माण को लेकर बड़े आकार के कारखाने लगाने की जरूरत है। सारस्वत ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रही है, ऐसे में इस प्रकार के वाहनों में लीथियम-आयन बैटरी के उपयोग की लागत में कमी एक बड़ी चुनौती होगी। भारत ने 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक कारें चलाने का लक्ष्य रखा है। इसका मकसद ईंधन आयात बिल तथा वाहनों को चलाने में आने वाले खर्च में कमी लाना है।
सारस्वत ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी में वैश्विक इकाई बनने के लिये हमें मूल्यवर्द्धन (वैल्यू एडिशन) करना होगा। सारस्वत ने कहा कि केवल कलपुर्जों को असेंबल करने से मदद नहीं मिलेगी, हमें देश में बड़े आकार के लीथियम आयन बैटरी विनिर्माण का कारखाना लगाना होगा। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि फिलहाल लीथियम-आयन बैटरी का देश में विनिर्माण नहीं होता और इसीलिए देश को जापान या चीन से आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि आयात की गुणवत्ता पर सवाल है।